वनवासी शिक्षा का प्रभावी कार्य

प्रभावी कार्य

 
1. जनजाति भाषा संरक्षण- 
(क) गोंड़ी-कोरकू के संरक्षण हेतु ‘‘साप्ताहिक समाचार पत्र ‘‘लोकान्चल’’ का गोंड़ी भाषा में 2013 से प्रकाशन किया जा रहा है।
(ख) गोंड़ी-कोरकू भाषा के प्रोत्साहन हेतु जनजाति के युवा रचनाकारों की सृजन संवाद में सहभागिता कराई। जिसमें 50 युवक-युवतियों ने भाग लिया। 7 लोग ने पुरूस्कार प्राप्त किया।
(स) राष्ट्रीय गीत, शिशुगीत व अमृत वचनों का गोंड़ी, कोरकू में भाषान्तर कराया जा रहा है।

2. बंगला भाषा संरक्षण- 
बंगला भाषा संरक्षण के लिये बंगला भाषा बाहुल्य क्षेत्र चोपना में 2015 से संस्कार चलाये जा रहे हैं। वर्तमान में 6 केन्द्र चल रहे हैं।

3. मराठी भाषा केन्द्र- 
2015 में सीमोंल्घन के अन्तर्गत विद्या भारती द्वारा विदर्भ के अमरावती जिले में  मराठी भाषा के 24 संस्कार केन्द्र प्रारम्भ किये हैं।

4. महिला स्वसहायता समूह- 
2015 में अध्ययन कर चयनित ग्रामों में से 2 ग्रामों में 3 स्वसहायता समूह बैतूल जिले में गठित किये गये हैं।

5. जैविक खेती (गौआधारित कृषधि)- 
विद्या भारती द्वारा चयनित 123 आदर्श ग्रामों में से 10 ग्रामों के 25 किसानो ने गौआधारित कृषधि के प्रयोग शुरू किये हैं।

6. प्लास्टिक मुक्त घुरा-
खेत में शुद्ध जैविक खाद ही पहुँचे, प्लास्टिक नहीं। इसीलिये 2015 से ग्रामों में प्लास्टिक मुक्त घूरा बनाने के लिये जनजाति ग्रामों की माताओं, बहिनों को जागृति कर प्लास्टिक मुक्त घूरे बनाये जा रहे हैं, जिससें अभी तक 477 ग्रामों में 5317 परिवार सहभागी बने हैं।

7. स्वाबलम्बी प्रशिक्षण-
2015 में 23 आचार्य-दीदियों कों 10 दिवसीय कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही प्रकल्पों में कौशल विकास के अलग-अलग विधाओं में प्रशिक्षण दिये जा रहे हैं।

8. वसंत पंचमी उत्सव- 
(क) 2014 से सरस्वती संस्कार केन्द्रों के माध्यम से ग्राम सरस्वती जन्मोत्सव (ग्रामोत्सव) के रूप में मनाना शुरू हुआ है जहाॅ पूजन कर समर्पण कराया जाता है। जिससे समर्पण 2014 में 131956/-व 2015 में 266378/- हुआ।
(ख) सत्र 2015 में - कायदा जिला हरदा का समर्पण उत्सव विशेष रहा । जिसमें 5000 वनवासी महिला- पुरूष सहभागी हुए।

9. समर्थ भारत तिरंगा यात्रा- 
2015 से रायसेन जिले के जनजाति ग्रामों में अगस्त माह में यह तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है। जो 60-70 ग्रामों से होकर निकलती है। और 15 अगस्त को गाँव में तिरंगा उत्सव मनाया जाता है।

10. वनवासी ग्रामों में जनजागृति- 
(क) अपने प्रयासों से जनजाति ग्रामों में जन चेतना आने लगी है। जहाॅ 2015 में कुछ गाॅवों मे से राजनी जैसे कोरकू बाहुल्य ग्राम में घुसपैटिये के रूप में आये एक मुस्लिम परिवार को रहने नहीं दिया गया। ग्राम सभा द्वारा उसे भगाया।
(ख) दूसरा इसी गाॅव में ईसाई धर्म में गई महिला को यहाॅ की महिलाओं ने ही वापिस अपने हिन्दू धर्म में बुला लिया है। सोहागपुर में प्रार्थना सभा बंद कर 25 परिवारों को मिशनरी के चंगुल से मुक्त किया है। यह सब सामाजिक सर्वे अभियान का परिणाम है। जो एकल विद्यालय द्वारा सतत चलाया जा रहा है।

11. जल प्रबन्धन कार्यशाला-
2014 से इस जल प्रबन्धन कार्यशाला का आयोजन अलग-अलग 2 स्तर पर किया जाता है। जिससें ग्राम स्तर पर बोरी बन्धान बनाने की विधि व पानी बचाव का महत्व बताया जाता है।